Tuesday 14 February 2017

भारत-प्रशांत क्षेत्र : भारत-जापान हितों के मेलमिलाप' विषय पर आयोजित सेमिनार

भारत-प्रशांत क्षेत्र : भारत-जापान हितों के मेलमिलाप' विषय पर आयोजित सेमिनार
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पत्र सूचना कार्यालय 
भारत सरकार
गृह मंत्रालय 
13-फरवरी-2017 16:49 IST
  
श्री किरण रिजिजू ने 'भारत-प्रशांत क्षेत्र : भारत-जापान हितों के मेलमिलाप' विषय पर आयोजित सेमिनार को संबोधित किया 
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री श्री किरण रिजिजू ने आज ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा 'भारत - प्रशांत क्षेत्र : भारत - जापान हितों के मेलमिलाप' विषय पर आधारित सेमिनार को संबोधित किया। 

इस अवसर पर श्री किरण रिजिजू ने कहा कि भारत और जापान के बीच घनिष्ठ संबंध दोनों देशों के लंबे इतिहास की गहराई से जुड़े हैं और दोनों ही देश लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्धता, कानून की सर्वोच्चता, मानवाधिकार और वैश्विक शांति जैसे आम मूल्यों को साझा करते हैं। भारत और जापान दोनों को अपने राजनयिक संबंध स्थापित किए हुए 64 साल बीत चुके हैं और इस अवधि के दौरान दोनों देश आपसी मेलमिलाप के रणनीतिक एवं आर्थिक हितों पर आधारित एक बहुत मजबूत साझादारी स्थापित करने में समर्थ रहे हैं।

रणनीतिक संबंधों के बारे में श्री रिजिजू ने कहा कि भारत और जापान ने सुरक्षा सहयोग के बारे में एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और रक्षा उत्पादन और असैन्य परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने समुद्री सुरक्षा के लिए मालाबार संयुक्त अभ्यास में जापान की भागीदारी पर भी प्रकाश डाला।

आर्थिक संबंधों के बारे श्री किरण रिजिजू ने कहा है कि जापान दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर, चेन्नई-बेंगलुरू औद्योगिक कॉरिडोर और मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेलवे जैसी अनेक विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में मदद कर रहा है। दोनों देशों ने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक आर्थिक भागीदारी अनुबंध किया है। जापान के निजी निवेश ने, विशेष रूप से भारत में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा प्रभाव डाला है।

श्री रिजिजू ने कहा कि भारत 2003 के बाद से ही जापान की आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश है। उन्होंने कहा कि जापान से पूर्वोत्तर भारत में बिजली, परिवहन, संचार, सिंचाई, कनेक्टिविटी परियोजनाओं तथा रेलवे और बंदरगाहों के आधुनिकीकरण जैसे अनेक महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्राप्त हो रही है।

ओआरएफ ने अपनी यात्रा 1990 में शुरू की और भारत के आर्थिक विकास का एजेंडा प्रस्तुत करने के लिए प्रमुख भारतीय अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुख्य रूप से आंतरिक समीक्षा और घरेलू सुधारों में भागीदारी से लेकर धीरे-धीरे वैश्विक भागीदारियों को आगे बढ़ाने के लिए ओआरएफ आज राजनीतिक और आर्थिक और नीति में आम सहमति के साथ भागीदारी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिससे भारत दुनिया के साथ बातचीत करने में समर्थ हो रहा है। यह दुनिया भर में सरकार, व्यापार समुदायों, शिक्षा और नागरिक समाज में विविध निर्णय निर्माताओं को दलगत राजनीति से परे निष्पक्ष स्वतंत्र, अच्छी तरह से किए गए शोध विश्लेषण और जानकारी प्रदान करता है। ओआरएफ न्यायसंगत दुनिया में एक मजबूत और समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में नीतिगत विचारों को नेतृत्व और सहायता प्रदान करता है।
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