Monday 16 October 2017

अमीरों पर टैक्स कम करने से दुनियाभर में फैलेगी अव्यवस्था


Date:16-10-17


अमीरों पर टैक्स कम करने से दुनियाभर में फैलेगी अव्यवस्था

एना स्वान्सन और जिम टेन्कर्सले 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का मुख्यालय वाशिंगटन में है और अगले कुछ ही दिन में उसकी बैठक होने वाली है। इस बैठक के पहले आईएमएफ ने सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि अमीरों पर कम टैक्स लगाने का प्रस्ताव न रखा जाए। अगर ऐसा हुआ तो दुनियाभर में अव्यवस्था फैलेगी और उस स्थिति को संभालना मुश्किल हो जाएगा।आईएमएफ की चेतावनी खासतौर पर विकसित देशों को लेकर थी, जिसमें अमेरिका प्रमुख रूप से शामिल है। अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन और रिपब्लिकन सांसद ऐसे प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं, जिसमें अमीरों से कम टैक्स लेने के प्रावधान शामिल हैं। जबकि आलोचकों का कहना है कि इससे आय की असमानता दूर करने में दिक्कतें आएंगी, जो इन दिनों कई देशों में समस्या के तौर पर उभर रही है।अमेरिका में रिपब्लिकन सांसदों के प्रस्ताव के अनुसार निम्न से मध्यम आय वालों के लिए टैक्स की दरें समान होंगी, जबकि अधिक आय अर्जित करने वालों को निम्त दरों पर टैक्स चुकाना होगा। इसका मतलब जो गरीब और गरीब होता जाएगा और अमीर संपत्ति बनाते जाएगा। आईएमएफ ने कहा कि यह परेशानी बढ़ाने वाली प्रवृत्ति साबित होगी और इससे अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में असमानता को बढ़ावा मिलेगा।आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को दुनिया की बेहतर होती आर्थिक स्थिति का लाभ उठाना चाहिए। घाटा कम करने के उपाय करने के उपाय के साथ-साथ टैक्स प्रणाली की खामियां दूर करने के कदम उठाए जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त सरकारों को चाहिए कि वे शिक्षा एवं गरीबों के स्वास्थ्य पर ज्यादा राशि खर्च करें। सरकारें मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था की मुश्किलें टाल सकती हैं।


आईएमएफ की रिपोर्ट में कई देशों की आर्थिक नीतियों का उल्लेख है। उसमें बताया गया है कि कैसे सरकारों ने योजनाओं के भी हिस्से कर दिए हैं। उसमें अमीर वर्ग को गरीब से ज्यादा फायदा मिलता है, जिससे असमानता बढ़ती है। कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि असमानता कुछ मायनों में अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद भी होती है। उससे लोगों को प्रयास करने एवं कुछ नया करने का प्रोत्साहन मिलता है। लेकिन इसमें किसी भी देश की ग्रोथ प्रभावित नहीं होनी चाहिए। हालांकि, शोध बताते हैं कि कई देशों में ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। वास्तविकता यह है कि असमानता के कारण ग्रोथ को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। उदाहरण के तौर पर जो लोग समृद्ध परिवारों से नहीं थे, वे अर्थव्यवस्था में कोई योगदान नहीं दे पाए।पिछले तीन दशकों में अमेरिका, चीन और भारत जैसे देशों को ही देखें, वहां अमीर वर्ग की आय तो रॉकेट की गति से बढ़ी, लेकिन निम्न एवं मध्यम वर्ग की स्थिति नहीं सुधरी। इस कारण असमानता भी तेजी से बढ़ी। कुछ विशेषज्ञ इसमें टेक्नोलॉजी को दोष देते हैं, कि रोबोट कम प्रतिभाशाली लोगों के जॉब छीन रहे हैं। ऐसा नहीं है। वैश्वीकरण के इस दौर में कंपनियां कम लागत वाले श्रम की ओर जा रही हैं। श्रम संगठनों की घटती संख्या या उनकी निष्क्रियता के चलते भी कर्मचारी अपनी बात नहीं रख पाते हैं।

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